वैसे आज मै सिकंदरा { आगरा } शहर का ही हिस्सा गया था वहा से सेब खरीदा 50 रुपये किलो ,थोडा और शहर के अन्दर आया तो 100 और थोडा और अन्दर 120 से 150 हो गया आज ही ,ये भ्स्ताचार है या नहीं ? लडके और लड़की में फर्क भ्रस्ताचार है या नहीं है ? औरत आदमी का फर्क भ्स्ताचार है या नहीं ? जाती के आधार पर धर्म के आधार पर नफ़रत भ्स्ताचार है या नहीं ? अपने बच्चो को केवल घूस वाली नौकरी दिलाने की कोशिश भ्रस्ताचार है या नहीं है ? बिना दहेज़ के शादी नहीं करना भ्रस्ताचार है या नहीं है ,टीचर द्वारा नम्बर बढ़ाना ,या गुस्से में फेल कर देना ,डॉ द्वारा महँगी दवाई लिखाना ,महंगे जाँच करवाना ,कमीशन खाना भ्स्ताचार है नहीं ,व्यापारी द्वरा लूट और मिलावट ,जमाखोरी ,मुनाफाखोरी भ्स्ताचार है या नहीं ?गलत तरीके से सड़क पर चलन ,कानूनों का पालन नहीं करना ,कही भी थूक देना और कुछ भी करने खड़ा हो जाना ,कूड़ा कही भी फेंक देना ,दूसरो की बहन बेटियों को छेदना और मौका लगता ही कुछ भी कर बैठना ,रिश्तों को गन्दा करना क्या भ्स्ताचार है नहीं ? दोस्तों बहस पूरी करे । जरा अपने गिरेबान में झांक कर देखें की आप खुद कितने इमानदार है और देश के लिए समाज के लिए सचमुच क्या करते है है और जब वोट डालने जाते है तो क्या सोच कर वोट डालते है बस फिर तय हो जायेगा की लड़ाई कहा से शुरू हो यदि सचमुच हम देश और समाज बदलना चाहते है ।बाकि जिसके जो चस्मा चमड़ी में ही चिपक गया है तो कोई बात नही गाली गाली खेलते रहे और देश और समाज जाये भाड़ में ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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रविवार, 26 अगस्त 2012
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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